सृजन महविधायलय में समाप्त हुआ, पांच दिवसीय सृजन स्पेक्ट्रा कार्यक्रम। शुरआती तीन दिन कार्यक्रम क्रीड़ा से जुड़े रहे जिसमें क्रिकेट, वॉलीबॉल, कबड्डी, शंतरज, टेबल टेनिस अदि खेलों में विद्यार्थियों ने भाग लिए। तमाम खेलों का आयोजन कला विज्ञानं महाविद्यालय के पूर्व क्रीड़ा अधिकारी डॉ गोपाल मजावदिया के निरक्षण में आयोजित किया गया जिसकी संचालिका ताहिरा खान रहीं। सृजन स्पेक्ट्रा कार्यक्रम के चौथे दिन सृजन महाविद्यालय में विद्यार्थियों द्वारा फन फेयर का आयोजन हुआ जिसके मुख्य अतिथि गोविन्द काकानी, वीरेंदर वाफगाओंकर, अनीता पुरोहित रही। कार्यक्रम विद्यार्थियों के बीच खूबसूरत रंगोलियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई साथ ही आज के समाज को दर्शाते पोस्टर्स पर्तिस्पर्धा भी आयोजित की गई जिसमें रंगोली के विजेता ख़ुशी जातीय कुसुम कारपेंटर और पोस्टर के विजेता शिवानी ढाकर रहीं। अतिथियों और शहर वासियों ने सृजन महाविधालय के विद्यार्थियों के साथ फन फेयर में विभिन्न किस्म के व्यंजनों, खेलों और साथ ही ऊट की सवारी का आन्नद लिया इसके साथ गोविन्द काकानी ने कार्यक्रम को प्रतिवर्ष इस फागुन महीने में आयोजित करने का आग्रह किया जिससे शहर में ऐसे त्यौहार होली के महीने में आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ाने के साथ जीवन में खुशियों के रंग उड़ेल सकें। सृजन स्पेक्ट्रा कर्यक्रम के तहत सृजन महाविधायलाये ने अपने अंतिम दिन वार्षिक उत्सव का आयोजन रखा जिसकी अध्यक्षता उमेश झालानी ने की और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर निगम अध्यक्ष मनीषा शर्मा व इप्का फार्मा लेब्रोटरी के वाईस प्रेजिडेंट अंकित तिवारी रहे। वार्षिक उत्सव विभिन्न किस्म की कलाओं से भरा हुआ रहा जिसमें नृत्य गीत संगीत व रंग मंच में रामयण का नाट्य रहा जिसको दर्शकों द्वारा खूब सरया गया। आयोजन में निरक्षक की भूमिका में रहे नाट्य जगत से जुड़े ओ पी मिश्रा व राष्ट्रीय कवी अब्दुल सलाम खोकर उपस्थित रहे। वार्षिक उत्सव के अंतिम में सृजन स्पेक्ट्रा में भाग लेने वाले तमाम विद्यार्थियों को प्रोत्साहन रूपी पुरस्कार व राशि भेंट की व अतिथियों द्वारा सृजन महाविधालय को उज्वल भविष्य व आगामी योजनाओं के लिए शुभकामनायें दी। सृजन स्पेक्ट्रा कार्यक्रम में मौजूद रही श्रीमती ममता झालानी ने विद्यार्थियों को सफल कार्यक्रम का श्रेय दिया, आभार प्राचार्य डॉ जे एस यादव ने माना व कार्यक्रमों को संचालित समन्वयक निसर्ग दुबे द्वारा किया गया।
Written by: Nisarg Dubey.
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